- दस महाविद्या में आठवीं स्वरूप देवी बंगलामुखी का है।.
- माता बंगलामुखी पीली आभा से युक्त हैं इसलिए इन्हें पीताम्बरा कहा जाता है। बंगलामुखी की पूजा में पीले रंग का विशेष महत्व है।.
- बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन .
- इनका प्राकट्य स्थान गुजरात का सौराष्ट्र में माना जाता है। मां बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं।.
- मध्यप्रदेश के आगर जिले में नलखेड़ा कस्बे में मां बगलामुखी का महाभारत कालीन भव्य और प्राचीन मन्दिर स्थित हैं। प्रचलित कथानुसार इस मंदिर की स्थापना धर्मराज युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध के समय की थी। यहां पर माता बगलामुखी की स्वयंभू प्रतिमा शमशान क्षेत्र में स्थित होने से तंत्र में इसका बहुत अधिक हैं.
- हरिद्वार के पवित्र गंगा जल के साथ मंत्रमुग्ध और ऊर्जावान.
- HOW TO USE:
- 1.बगलामुखी यंत्र पूजा | Baglamukhi Yantra Puja बगलामुखी यंत्र को उपयोग में लाने से पूर्व इसे पंचामृत से स्नान कराया जाना चाहिए. मंदिर में स्थापित कर अष्ठसुगंध या कुन्दा फूल, नारियल, अक्षत हल्दी इत्यादि से पूजा करनी चाहिए. इसकी पूजा में उचित मंत्र जप करना चाहिए तथा यंत्र को अभिमंत्रित किया जाना चाहिए क्योंकि इस प्रक्रिया से यंत्र मे दिव्य शक्ति का संचार होता है.
बगलामुखी यंत्र स्थापना क्रिया रात मे करनी चाहिए इस समय यंत्र की उर्जा अधिक शक्तिशाली और प्रभावी होती है. इसका निर्माण महाशिव रात्रि, होली अथवा दीपावली के दौरान बेहतर होता है. बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं. देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता. वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है.
2.बगलामुखी यंत्र निर्माण | Establishment of Baglamukhi Yantra यंत्र धारण करने से पहले इसे पूर्ण रुप से शुद्ध एवं पवित्र मन द्वारा अभिमंत्रित करना चाहिए इस यंत्र को रक्षा कवच रुप में भी धारण किया जा सकता है. यंत्र को सोने या चांदी की धातु में पहनना चाहिए. यदि यंत्र का निर्माण स्वयं करना हो तो यंत्र के रेखाचित्र बनाने के लिए लाल, पीला या नारंगी रंगों का उपयोग करना चाहिए. देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी यंत्र की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करने चाहिए.
3.बगलामुखी यंत्र उपयोग | Use of Baglamukhi Yantra बगलामुखी यंत्र की नियमित रुप से धूप और दिप प्रज्जवलित कर पूजा करना चाहिए. यंत्र की पूजा पीले वस्त्र धरण कर,पीले आसन पर बैठकर तथा पीले फूलों के साथ की जानी चाहिए. इसे पूजा घर में रखने के साथ साथ गले में भी पहना जा सकता है. यंत्र की पूजा पीले दाने,पीले वस्त्र,पीले आसन पर बैठकर मंत्र जप करते हुए करनी चाहिए. पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं. देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है.
4.बगलामुखी यंत्र लाभ | Baglamukhi Yantra Benefits बगलामुखी महायंत्र की शक्ति का उपयोग शत्रु को परास्त और नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. बगलामुखी यंत्र विजय प्राप्त करने,कानूनी कार्यवाही, कोर्ट कचहरी और मुकद्दमों में सफलता पाने के लिए किया जाता है. बगलामुखी की साधना में नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है. बगलामुखी साधना के लिए सूर्य मकर राशिस्थ हो, मंगलवार को चतुर्दशी का दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है. क्योंकि इसी अर्द्धरात्रि के समय देवी श्री बगलामुखी प्रकट हुई थीं. माता के मंत्र जाप में “ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुध्दिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।”मंत्र का जाप करना चाहिए.
5.बगलामुखी यंत्र का महत्व | Significance of Baglamukhi Yantra शास्त्रों में देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं. संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है. अत: बगलामुखी यंत्र का महत्व सर्व उपयोगी होता है. इस यंत्र में मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के समाहीत होती है. इनकी आराधना मात्र से साधक के सारे संकट दूर हो जाते हैं, शत्रु परास्त होते हैं और श्री वृद्धि होती है.
KEY FEATRUES:- -
Bead Size Standard Condition New Style Spiritual Colour Gold Type Of product Brass Ruling God / Baglamukhi / Beej Mantra Om Hareeng Bagla Mukhi Namah Gender, Shape Material, Origin Brass Weight 1.4 kg
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